आधी रात टल्ली होकर होस्टल लौटीं आईजीएमसी की 23 महिला डाक्टर होस्टल वार्डन ने अस्पताल के प्रिंसीपल से की शिकायत ।
शिमला - शिमला के एक प्रतिष्ठित होटल में नाइट पार्टी से टल्ली होकर आईजीएमसी के होस्टल लौटी करीब 23 आवासीय लेडी डाक्टर्स का मामला सुर्खियों में आया है। सूत्रों के मुताबिक गर्ल्ज होस्टल आईजीएमसी की वार्डन ने लिखित तौर पर आईजीएमसी के प्रिंसीपल अशोक शर्मा से शिकायत की है कि इनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए। शिकायत पत्र में आरोप लगाया गया है कि रविवार रात करीब 23 आवासीय महिला डाक्टर्स गर्ल्ज होस्टल आईजीएमसी से बिना अनुमति लिए एक होटल में पार्टी के लिए गई थीं, जोकि देर रात होस्टल लौटीं। इनमें से ज्यादातर शराब के नशे में धुत्त थीं। इन्हीं लेडी डाक्टर्स में से एक के चेहरे पर गंभीर चोटें भी आई हैं। शिकायत पत्र में आरोप लगाया गया है कि यह कोई पहली घटना नहीं है। इससे पहले भी इन आवासीय डॉक्टरों को मौखिक तौर पर चेतावनी दी जाती रही है। प्रिंसीपल से वार्डन इंचार्ज गर्ल्ज होस्टल आईजीएमसी शिमला ने आग्रह किया है कि इन आवासीय लेडी डाक्टर्स के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई अमल में लाई जाए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। यह पत्र वार्डन इंचार्ज गर्ल्ज होस्टल आईजीएमसी डा. सीमा सिंह पंवर की तरफ से प्रिंसीपल आईजीएमसी डा. अशोक शर्मा को लिखा गया है। जिस पर 12 मार्च, 2018 की तारीख अंकित है। पत्र संख्या एचएफडब्ल्यू(एमसी)जीएच/2018-48 के तहत यह शिकायत कार्रवाई के लिए भेजी गई है। यही नहीं, इस पत्र में प्रिंसीपल आईजीएमसी से आग्रह किया गया है कि जल्द से जल्द अनुशासनात्मक कमेटी की बैठक बुलाई जाए, ताकि आरोपी आवासीय डाक्टरों के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई अमल में लाई जा सके। हैरानी की बात है कि आईजीएमसी में आवासीय लेडी डाक्टर्स इस तरह की घटना में संलिप्त रहने के आरोपों से घिर रही हैं। गनीमत यह रही कि टल्ली लेडी डाक्टर्स किसी बड़े हादसे का शिकार नहीं हुईं, वरना यह मामला प्रादेशिक न होकर राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में आ सकता था। उधर, आईजीएमसी के प्रिंसीपल डॉ. अशोक शर्मा ने प्रतिक्रिया में कहा कि अभी तक उन्हें ऐसा शिकायत पत्र नहीं मिला है। बहरहाल, लीवर व किडनी खराब होने की चेतावनी देने वाले डाक्टर किस तरह शराब की लत्त से दो-चार हो रहे हैं, यह इसकी मिसाल भर है। ऐसे क्या कारण हैं कि आवासीय लेडी डाक्टर्स बिना किसी अनुमति के लेट नाइट पार्टियों में टल्ली होकर होस्टल लौट रही हैं और आईजीएमसी प्रशासन अब तक मौन साधे बैठा है। यह कोई छोटा मामला नहीं है। अभिभावक लाखों की रकम खर्च करके अपने बच्चों को डाक्टर बनाने के सपने संजोए रहते हैं, मगर उन्हें नहीं पता कि उनके बच्चे राजधानी की चकाचौंध में होटलों की नाइट पार्टियों से टल्ली होकर होस्टल पहुंच रहे हैं। गनीमत यह रही कि कोई बड़ा हादसा पेश नहीं आया। उम्मीद की जानी चाहिए कि आईजीएमसी प्रशासन आवासीय डाक्टरों के लिए स्ट्रेस रिलीविंग कोर्स का आयोजन करेगा, ताकि उन द्वारा देखे जाने वाले मरीजों पर उनके इस तरह के कृत्यों का कोई बुरा असर न पड़े।
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